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Thursday, April 15, 2010

dost kahna hi dosti nahi hoti..........

मत इंतज़ार कराओ हमे इतना
कि वक़्त के फैसले पर अफ़सोस हो जाये
क्या पता कल
तुम लौटकर आओ
और हम खामोश हो जाएँ

दूरियों से फर्क पड़ता नहीं
बात तो
दिलों कि नज़दीकियों से होती है
दोस्ती तो कुछ आप जैसो से है
वरना मुलाकात तो
जाने कितनों से होती है

दिल से खेलना हमे आता नहीं
इसलिये इश्क की बाजी हम
हार गए
शायद मेरी जिन्दगी से बहुत प्यार था उन्हें
इसलिये मुझे जिंदा ही मार
गए

मना लूँगा आपको रुठकर तो देखो,
जोड़ लूँगा आपको टूटकर तो देखो।
नादाँ
हूँ पर इतना भी नहीं ,
थाम लूँगा आपको छूट कर तो देखो।

लोग मोहब्बत को खुदा
का नाम देते है,
कोई करता है तो इल्जाम देते है।
कहते है पत्थर दिल रोया नही
करते,
और पत्थर के रोने को झरने का नाम देते है।

भीगी आँखों से मुस्कराने में
मज़ा और है,
हसते हँसते पलके भीगने में मज़ा और है,
बात कहके तो कोई भी
समझ लेता है,
पर खामोशी कोई समझे तो मज़ा और है...!

मुस्कराना ही ख़ुशी नहीं होती,
उम्र बिताना ही ज़िन्दगी नहीं होती,
दोस्त को रोज याद करना पड़ता है,
क्योकि दोस्त कहना ही दोस्ती नहीं होती...........

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